हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मौलाना सय्यद अहमद अली आबदी ने जुमे के खुतबे में इमामत के बारे में एक महत्वपूर्ण बात साझा की। उन्होंने बताया कि जब यह कहा जाता है कि यह इमामत का पहला दिन है, तो यह समझना जरूरी है कि इमामत कोई सरकारी पद नहीं है, जिसके लिए कोई शपथ ग्रहण समारोह हो, न कोई ताजपोशी की प्रक्रिया होती है, और न ही कोई ऐसी कार्यवाही होती है कि इमाम को शपथ दिलाई जाए। हमारे यहां इमामत का सिलसिला इस तरह से नहीं होता।
उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग इमामत के लिए शपथ या समारोह की बात करते हैं, वह गलत है। वास्तव में, इमामों को इमामत का हुक्म दुनिया के निर्माण से भी पहले दिया गया था। जब कोई इमाम या नबी इस दुनिया से जाता हैं या शहादत होती हैं, तो बिना किसी विराम के, अगले इमाम की इमामत का सिलसिला तुरंत शुरू हो जाता है। अगर इमामत का यह सिलसिला एक पल के लिए भी टूट जाए तो दुनिया का संतुलन बिगड़ सकता है।
मौलाना ने यह भी कहा कि इमामत का यह सिलसिला कभी नहीं रुकता, क्योंकि यदि इमामत का सिलसिला किसी भी क्षण के लिए रुक जाए, तो दुनिया का अस्तित्व ख़तरे में पड़ सकता है। इसके बाद, मौलाना ने नुज़ूल और विलादत के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि आजकल कुछ लोग 'नुज़ूल' का शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि हमारे पास इस संदर्भ में 'विलादत' का शब्द है। यदि हम इस पर विचार करें, तो हमें यह समझना चाहिए कि इमामों का जन्म हुआ है, जैसे हर इंसान का जन्म होता है। अगर किताबों में विलादत का जिक्र है, तो हमें उसी का पालन करना चाहिए। इमामों ने खुद अपने जन्म को विलादत कहा है, तो हमें उनका अनुसरण करते हुए नुज़ूल का शब्द इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
मुम्बई के इमाम जुमा ने कहा कि अगर हम इमामों के लिए 'नुज़ूल' शब्द इस्तेमाल करते हैं तो इसका मतलब यह होगा कि इमामों का कोई जन्म नहीं हुआ, वे किसी के बाप या बेटे नहीं थे, जैसे क़ुरआन किसी का बाप या बेटा नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम 'अली (अ)' कहते हैं या 'हुसैन (अ)' कहते हैं तो यह इस बात का संकेत है कि वे 'बेटे' थे, इसलिए 'नुज़ूल' शब्द का उपयोग इमामों के जन्म का इंकार करना होगा, जो कि गलत है।
मौलाना अहमद अली आबदी ने अंत में कहा कि इमामत का सिलसिला अल्लाह ने तय किया है, और यह सिलसिला करोड़ों साल पहले, जब कुछ भी नहीं था, अल्लाह ने 12 इमामों की इमामत का निर्णय लिया। यह इमामत का सिलसिला बिना किसी विराम के चलता रहेगा और हमेशा उसी तरीके से रहेगा, जैसा कि अल्लाह ने तय किया है।
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